शैव धर्म का इतिहास : Shaiv Dharm Shavism In Hindi : दोस्तों , आज हम Notes In Hindi Series में आपके लिए लेकर आये हैं वैदिक सभ्यता से सम्बन्धित सामान्य ज्ञान ! Shaiv Dharm Shavism In Hindi से सम्बन्धित बहुत से Questions Competitive Exams में पूछे जाते हैं , यह एक बहुत ही विशेष Part आता है हमारे Gs का | तो आज हम पढेंगे शैव धर्म का इतिहास,Shaiv Dharm In hindi,Shavism In Hindi के बारे में !
Shaiv Dharm Shavism History In Hindi
- सिन्धु सभ्यता के अवशेष शिवलिंग की पूजा के प्राचीनतम साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।
- शिव की उपासना करने वाले संप्रदाय के धर्म को शैव धर्म कहा गया।
- शैव धर्म का प्रारम्भिक साहित्यिक (Literary) साक्ष्य मत्स्य पुराण में मिलता है।
- शिव को रूद्र (ऋग्वेद) तथा पशुपति, भूपति, शर्व तथा भव (अथर्ववेद) के नामों से प्राचीन ग्रन्थों में उल्लिखित किया गया है।
- ‘लिंगोपासना’ के प्राचीनतम साक्ष्यों में महाकव्य महाभारत का अध्याय अनुशासन पर्व भी एक है, इसमें इसका स्पष्ट उल्लेख है।
- शैव धर्म को उत्तर भारत में मुप्त सम्राटों का अपार संरक्षण प्राप्त हुआ।
- दक्षिण भारत में पल्लव वंश के शासकों ने शैव धर्म को संरक्षण दिया।
- इस धर्म को मानने वाले लोग ‘शिव’ के पशुपति रूप के उपासक होते हैं।
- यह संप्रदाय शैवों का सबसे प्राचीन संप्रदाय हैं।
- इस संप्रदाय की स्थापना भगवान शिव का एक अवतार माने गये लकुलीश ने की।
- पशुपति संप्रदाय के अनुयाईयों को पंचार्थिक कहा जाता था।
- इस संप्रदाय का प्रमुख सिद्धान्त ग्रंथ पाशुपत सूत्र है।
- इस संप्रदाय का प्रमुख सिद्धाप्त ग्रंथ पाशुपत सूत्र है।
- इस संप्रदाय के अनुयायी भैरव के उपासक थे।
- ये , भैरव को शिव का अवतार मानते थे।
- कापालिक संप्रदाय का मुख्य केन्द्र श्री शैल नामक स्थानप माना जाता है।
- कापालिक संप्रदाय में भैरव को सुरा एवं नरबलि पेश करने की परम्परा थी।
- कालामुख संप्रदाय भी कापालिक संप्रदाय की तरह आसुरी प्रवृत्ति का था।
- इस संप्रदाय के अनुयाइयों को शिव पुराण में महाव्रतधर कहा गया है।
- इस संप्रदाय के लोग नर-कपाल में ही भोजन, जल एवं सुरापान करते थे।
- यह संप्रदाय दक्षिण भारत में प्रचलित था।
- लिंगायत शैव संप्रदाय को वीर शैव भी कहा जाता है।
- ‘लिंगायत शैव’ के अनुयाइयों को जंगम भी कहा जाता है।
- लिंगायत शैव के अनुयायी शिवलिंग की पूजा करते थे।
- इस संप्रदाय की स्थापना अल्लभ प्रभु तथा उनके शिष्य बासव ने किया था।
- दक्षिण भारत में इस संप्रदाय का प्रचार नायनार संतों (जिनकी संख्या 63 थी) ने किया, इसका उल्लेख पेरिय पुराण में किया गया है।
- लिंगायत शैव संप्रदाय का प्रमुख धार्मिक केंद्र चंदेल शासकों द्वारा निर्मित कंदरिया महादेव मन्दिर (खजुराहो) है।
- शैव धर्म के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में कैलाशनाथ मन्दिर (एलोरा) अत्यन्त महत्वपूर्ण है, इसका निर्माण राष्ट्रकूट शासक कृष्णा–lll ने करवाया था।
- शैव धर्म का एक और प्रसिद्ध प्रतिष्ठान वृहदेश्वर मन्दिर (तंजौर) है। इसका निर्माण चोल शासक राज राजा-l ने करवाया था।
दोस्तों आशा है यह Article शैव धर्म का इतिहास : Shaiv Dharm Shavism In Hindi आपकी प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी में काफी मदद करेगा , ऐसे ही Articles पढ़ने के लिए जुड़े रहे : SSC Hindi के साथ !!