मगध साम्राज्य का इतिहास : Magadh Samrajya History In Hindi : दोस्तों , आज हम Notes In Hindi Series में आपके लिए लेकर आये हैं वैदिक सभ्यता से सम्बन्धित सामान्य ज्ञान ! Magadh Samrajya In Hindi से सम्बन्धित बहुत से Questions Competitive Exams में पूछे जाते हैं , यह एक बहुत ही विशेष Part आता है हमारे Gs का | तो आज हम पढेंगे मगध साम्राज्य का इतिहास,Magadh Samrajya History In Hindi,magadha empire history in hindi के बारे में !
Magadh Samrajya/Empire In Hindi
- 16 महाजनपदों में मगध सर्वाधिक शक्तिशाली था।
- मगध साम्राज्य का शासन काल ई० पू० 600 से ई० पू० 323 माना जाता है।
- मगध को वैदिक साहित्य में अपवित्र स्थान माना गया है यहाँ के निवासियों को लोग व्रात्य (पतित) कहा करते थे।
- मगध पर शासन करने वाले राजवंशों में वार्हद्रथ, हर्यंक, शिशुनाग एवं नन्द आदि प्रमुख थे।
- ई० पू० शताब्दी के पूर्व मगध में (वार्हद्रथ वंश) का शासन था।
- ‘वार्हद्रथ वंश’ का संस्थापक बृहद्रथ थ, उसकी राजधानी राजगृह या गिरिव्रज थी।
- जरांसध बृहद्रथ का पुत्र था, वह इस वंश का सबसे प्रतापी राजा था।
- मगधा की गद्दी पर हर्यंक वंश का संस्थापक बिम्बिसार 545 ई० पू० में बैठा था।
- विम्बिसार का सैन्यबल नियमित (standing) था और इसी कारण वह सौणिय (श्रोणिक : महती रखने सेना वाला) नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- बौद्ध ग्रन्थ महावंश के अनुसार बिम्बिसार ने 52 वर्षों तक शासन किया था।
- बिम्बिसार साम्राज्य विस्तार के उद्देश्य से कोशल नरेश प्रसेनजीत की बहन से, वैशाली के चेटक की पुत्री चेल्लना से तथा पंजाब की राजकुमारी क्षेमामद्र से शादी की।
- बिम्बिसार ने साम्राज्य-विस्तार करने के उद्देश्य से अंग-शासक ब्रम्हादत्त को हराकर उसका राज्य मगध में मिला लिया।
- बिम्बिसार के विशाल साम्राज्य की राजधानी गिरिव्रज थी एवं राजगृह को नयी राजधानी बनाया।
- बिम्बिसार बौद्ध धर्म का अनुयायी था।
- बिम्बिसार ने महात्मा बुद्ध की सेवा में राजवैद्य जीवक को भेजा।
- बौद्ध साहित्य के अनुसार 493 ई० पू० में बिम्बिसार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु ने की।
- अजातशत्रु 493 ई० पू० में मगध की गद्दी पर बैठा उसे कुणिक भी कहते थे।
- अपने पिता बिम्बिसार के राज्यकाल में में अजातशत्रू अंग की राजधानी चम्पा में प्रांतपति रहा था तथा वहीं उसने शासन की व्यवस्था सीखी।
- कोशल नरेश प्रसेनजीत ने अजातशत्रु को पराजित कर बन्दी बना लिया तथा सन्धि करके अपनी पुत्री वजिरा का विवाह उससे करा दिया।
- अजातशत्रु ने उत्तर में वैशाली के शक्तिशाली वज्जि संघ से युद्ध किया।
- वस्सकार (वर्षकार) अजातशत्रु का सुयोग्य मंन्त्री था।
- अजातशुत्र ने वैशाली के विरूद्ध युद्धमें दो नरवीन यद्धास्त्रों रथमूसल एवं महाशिलाकण्टक का प्रयोग किया था।
- लिच्छवियों के पश्चिम में स्थित मल्ल संघ को भी अजातशत्रु ने अपने साम्राज्य में मिला लिया।
- बौद्ध साहित्य में इस तथ्य की पुष्टि भी होती है कि बिम्बिसार की हत्या करने के उपरान्त अजातशत्रु ने अपने अपराध की स्वीकारोक्ति महात्मा बुद्ध के समक्ष की।
- प्रारम्भ में अजातशत्रु जैन धर्म अनुयायी था, परन्तु बाद में बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया।
- बौद्ध साहित्य में इसव तथ्य की पुष्टि भी होती है कि बिम्बिसार की हत्या करने के उपरान्त अजातशत्रु ने अपने अपराध को स्वीकारोक्ति महात्मा बुद्ध के समक्ष की ।
- अजातशत्रु ने 32 वर्षों तक मगध पर शासन किया।
- अजातशत्रु की हत्या उसके पुत्र उदयन ने 462 ई० पू० में कर दी और वह मगध की गद्दी पर बैठा।
- उदयन ने पाटलीपुत्र की स्थापना की।
- उदयन ने पाटलीपुत्र की स्थापना की।
- उदयन जैन धर्मावलम्बी था, उसने लगभग 16 वर्ष तक राज्य किया।
- उदयन के शासन काल में पहली बार पाटलीपुत्र मगध की राजधानी बनी।
- हर्यंक वंश का अन्तिम राजा उदयन का पुत्र नागदशक था।
- 412 ई० पू० में नागदशक को उसके अमात्य शिशुनाग ने अपदस्थ करके मगध पर शिशुनाग वंश की स्थापना की।
- शिशु नाग ने पाटलिपुत्र के स्थान पर वैशाली को अपना राजधानी बनाया।
- शिशुनाग ने अवन्ति पर विजय प्राप्त कर, उसे मगध साम्राज्य में विलय कर दिया।
- 396 ई० पू० शिशुनाग की मृत्यु हो गयी।
- शिशुनाग के पश्चात् उसाक पुत्र कालाशेक अथवा काकवर्ण मगध का शासक बना।
- कालाशोक ने पुन: पाटलिपुत्र को मगध साम्राज्य की राजधानी बनाया।
- कालाशोक ने अपने राज्य की उत्तरी सीमा कश्मीर तक पहुँचा दी तथा कलिंग को भी मगध साम्राज्य में मिला लिया।
- 368 ई० पू० कालाशोक की नगर के बाहर हत्या कर दी गयी।
- शिशुनाग वंश का अन्तिम शासक नन्दिवर्धन था।
- पुराणों के अनुसार नन्द वंश का संस्थापक महापद्म नन्द था।
- यूनानी इतिहासकार कार्टेयस ने महापद्म को शूद्र बताया है।
- पश्चिम में ‘कुरू और पांचाल’ पर महापद्म नन्द ने अधिकार कर लिया था।
- खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख से पता चलता है कि नन्द-राजा का कलिंग पर भी अधिकार था।
- नन्द राजा ने वैशाली के समीप स्थित मिथिला राज्य किया, इस वंश का अन्तिम शासक धनानन्द था।
- सिकन्दर का भारत पर आक्रमण धनानन्द के शासन काल में ही हुआ।
- 322 ई० पू० में मौर्यवंशीय चन्द्रगुप्त ने गुरू चाणक्य (कौटिल्य) की सहायता से धनानन्द को परास्त कर मगध में मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
विदेशी आक्रमण (Foreign Invasions)
- भारत पर पहला विदेशी आक्रमण 550 ई० पू० में ईरान के साइरस प्रथम ने किया।
- भारत पर दूसरा ईरानी आक्रमण डैरियस प्रथम (हखामनी वंश) द्वारा 518 ई० पू० के आस-पास किया गया।
- डैरियस ने पंजाब तथा गान्धार पर विजय प्राप्त करकेउन्हें अपने साम्राज्य का अंग बनाया।
- ई0 पू० 326 में यूनान के सिकन्दर ने भारत पर हिन्दुकुश के रास्ते आक्रमण किया।
- सिकन्दरमकदूनिया के शासक फिलिप का पुत्र था।
- सिकन्दर ई० पू० 336 में राजसिंहासन पर बैठा, वह अरस्तु का शिष्य था।
- सिकन्दर के सेनापति का नाम सेल्यूकस निकोटर था, नियार्कस सिकन्दर का जल-सेनापति था।
- सिकन्दर को पुरू राज्य से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।
- झेलम और चिनाब नदी के मध्य के प्रदेश पर पोरस का राज्य था।
- सिकन्दर को पोरस के साथ युद्ध करना पड़ा, जिसे हाइडेस्पीज के युद्ध के नाम से जाना जाता है।
- सिकन्दर ने पुरू के राजा पोरस को हरा दिया परन्तु उससे प्रभावित होकर विजित प्रदेश लौटा दिया।
- सिकन्दर ने पोरस के विरूद्ध विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में निकाइया (NIkaia) की स्थापना की।
- सिकन्दर ने स्वामी भक्त घोड़े के नाम पर बुकाफेला(Bokkephala) नामक नगर का निर्माण करवाया।
- सिकन्दर ने मिस्त्रपर विजय के उपलक्ष्य में सिकन्दरिया नामक नगर की स्थापना की थी।
- व्यास नदी के तट पर पहुँच कर सिकन्दर ने जब अपने भारत-विजय के स्वप्न को साकारकरनेके लिए आगे बढ़ने का प्रयास किया।
- सिकंदर की सेना ने मगध की हस्तिसेना से डरकर आगे बढ़ने से इंकार कर दिया।
- सिकन्दर की मृत्यु 323 ई० पू० में बेबीलोन में हो गयी, वह भारत में 19 महीनों तक रहा।
- भारतीय कला की गंधार शैली पर यूनानी प्रभाव है।
दोस्तों आशा है यह Article मगध साम्राज्य का इतिहास : Magadh Samrajya History In Hindi आपकी प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी में काफी मदद करेगा , ऐसे ही Articles पढ़ने के लिए जुड़े रहे : SSC Hindi के साथ !!