Delhi sultanate In Hindi : दिल्‍ली सल्‍तनत | Gulam Vansh

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दिल्‍ली सल्‍तनत (Delhi sultanate) : Gulam Vansh

दोस्तों , आज हम Notes In Hindi Series में आपके लिए लेकर आये हैं वैदिक सभ्‍यता से सम्बन्धित सामान्य ज्ञान ! Delhi sultanate In Hindi बहुत से Questions Competitive Exams में पूछे जाते हैं , यह एक बहुत ही विशेष Part आता है हमारे Gs का | तो आज हम पढेंगे Delhi saltnat ki staphna,Balban, Raziya,Gulam Vansh के बारे में !

  • गुलाम वंश की स्‍थापना 1206 ई० में कुतुबुद्दीन ऐबक ने ‘लाहौर’ में की।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक, मुहम्‍मद गोरी का गुलाम था, जिसने उसे अमीर-ए-आखूर का पद दिया।
  • 1208 ई० में खलीफा ने ऐबक को सुल्‍तान के रूप में मान्‍यता प्रदान की।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्‍ली में कुवावुत-इस्‍लम-मस्जिद तथा अजमेर में ढाई दिन का झोपड़ा का निर्माण करवाया।
  • ऐबक ने ख्‍वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के स्‍मृति में कुतुबमीनार की नींव डाली थी।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक को उसकी उदारता के कारण लाखबख्‍श कहा गया है।
  • हसन निजामी तथा फखे मुद्दबिर जैसे विद्वान कुतुबुद्दीन ऐबक के दरबार में रत्‍न थे।
  • 1210 ई० में राजधानी लाहौर में चौगान (पोलो) खेलते  हुए घोड़े से गिरकार कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्‍यु हो गयी।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्‍यु के बाद लाहौर के तुर्क अधिकारियों ने आरामशाह (1210-11 ई०) को गद्दी पर बैठाया, इसका शासनकाल मात्र 8 महीनों तक रहा।
  • दिल्‍ली के निकट ‘जड़’ नामक स्‍थान पर इल्‍तुतमिश  आराम शाह की हत्‍या कर गद्दी पर बैठा।
  • इल्‍तु‍तमिश (1210-36) ने ‘दिल्‍ली’ राजधानी स्‍थानांतरित की तथा यही से दिल्‍ली सल्‍तनत की शुरूआत हुई।
  • इल्‍तुतमिश के साथ इल्‍बारी (शम्‍शी) वंश का शासन आरम्‍भ हुआ।
  • इल्‍तुतमिश भी एक दास था एवं सुल्‍तान बनने के पूर्व बदायूँ का गवर्नर था।
  • इल्‍तुतमिश  ने अपने चालीस गुलाम सरदारों का एक गुट बनाया जिसे तुर्कान-ए-चिहलगान कहा गया।
  • इल्‍तुतमिश ने अपने चालीस गुलाम सरदारों का एक गुट बनाया जिसे तुर्कान-ए-चिहलगान कहा गया।
  • इल्‍तुतमिश ने 1228 ई० में बगदाद के खलीफा मुस्‍तंसिर बिल्‍लाह से खिलअत प्राप्‍त किया।
  • खलीफा ने इल्‍तुतमिश ने चाँदी का टंका (लगभग 175 ग्रेन का) तथा बाँबे का जीतल चलाया।
  • इल्‍तुतमिश ने कुतुबमीनार के निर्माण को पूर्ण करवाया।
  • भारत में पहले मकबरा के निर्माण का श्रेय इल्‍तुतमिश को दिया जाता है, उसनरे अपने पुत्र महमूद का मकबरा बनवाया।
  • इल्‍तुतमिश के दरबार में मिन्‍हास-उस-सिराज रहता था जिसने तबकात-ए-नासिरी की रचना की।
  • इल्‍तुतमिश ने अपनी कूटनीति द्वारा भारत को प्रथम मंगोल आक्रमण से बचा लिया।
  • इल्‍तुतमिश की मृत्‍यु 1236 ई० में हो गयी।
  • इल्‍तुतमिश के बाद उसका पुत्र रूकनुद्दीन फिरोजशाह (1236 ई०) गद्दी पर बैठा।
  • मुस्लिम सरदारों ने उसकी माता शाह तुर्कान (एक तुर्क दासी) और रूक्‍नुद्दीन फिरोज की हत्‍या कर दी।
  • रजिया 1236 ई० में दिल्‍ली के अमीरों तथा जनता के सहयोग से सिंहासन पर बैठी।
  • रजिया (1236-40 ई०) दिल्ली का सुल्‍तान बनने वाली पहली महिला थी।
  • रजिया ने पर्दा प्रथा को त्‍यागकर पुरूषों के समान काबा (चोगा) एवं कुल्‍हा पहनकर दरबार की कार्यवाइयों में हिस्‍सा लिया।
  • रजिया ने अबिसीनिया के हब्‍सी गुलाम जमालुद्दीन याकूत को अमरी-ए-आखूर एवं मलिक हसन गोरी को सेनापति के पर नियुक्‍त किया।
  • रजिया ने अल्‍तुनिया से विवाह किया।
  • कैथल के समीप डाकूओं ने 13 अक्‍टूबर, 1240 ई० को रजिया की हत्‍या कर दी।
  • रजिया के पश्‍चात् तुर्क सरदारों ने उसके भाई व इल्‍तुतमिश के तीसरे पुत्र मुईजुद्दीन बहराम शाह (1240-42 ई०) को सुल्‍तान बनाया।
  • 1242 ई० को मुईजुद्दीन मसूद शाह की हत्‍या कर दी गयी।
  • 1242 ई० में अलाउद्दीन मसूह शाह (1242-46 ई०) दिल्‍लीकी गद्दी पर बैठा।
  • बलबन ने 1246 में अलाउद्दीन मसूह शाह को हटाकर ‘नासिरूद्दीन महमूद’ को सुल्‍तान बना दिया।
  • नासिरूद्दीन महमूद (1245-66 ई०) ने राज्‍य की समस्‍त शक्ति बलबन को सौंप दी तथा स्‍वयं टोपी सीकर जीवन-यापन करने लगा।
  • अगस्‍त 1249 ई० में बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिरूद्दीन महमूद सेकर दिया।
  • सुल्‍तान ने बलबन को उलूग खाँ की उपाधि प्रदान की।
  • बलबन (1266-86 ई०) का वास्‍तविक नाम बहाउद्दीन बलबन था।
  • 1266 ई० में बहाउद्दीन ग्‍यासुद्दीन बलबन के नाम से सुल्‍तान बना।
  • बलबन ने इल्‍तुतमिश द्वारा स्‍थापित 40 सरदारों के दल तुकीन-ए-चिहलगान को समाप्‍त किया।
  • बलबन ने बंगाल के तुगरिल बेग के विदोह को मुकद्दीर के द्वारा दमन करवाया और उसे तुगरिलकुश की उपाधि प्रदान की।
  • बलबन ने पश्चिमोत्‍तर सीमा पर मंगोलों के आक्रमण से रक्षा के लिए एक शक्तिशाली सेना का संगठन किया तथा एक नये सैन्‍य विभाग दीवान-ए-आरज की स्‍थापना की।
  • अपने विरोधियों के प्रति बलबन ने कठोर लौह एवं रक्‍त (Blood and Iron) की नीति का अनुसरण किया।
  • बलबन ने राजदरबार में सिजदा (घुटनों के बल पर सिर झुकाना) एवं पैबोस (सुल्‍तान के पाँव चूमना) प्रथा की शुरूआत  की थी।
  • बलबन ने अपने दरबार के नियम और साज-सज्‍जा में ईरानी शैली का प्रयोग किया।
  • बलबन के दरबार में फारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरों एवं अमीर हसन रहते थे।
  • 1286 ई० में बलबन की मृत्‍यु हो गयी।
  • गुलाम वंश का अंतिम शासक शम्‍सुद्दीन कैमुर्स था।
  • शम्‍सुद्दीन की 1290 ई० में हत्‍या कर जलालुद्दीन खिलजी गुलाम वंश का अंत कर दिया।

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