NIOS DELED Assignment 506 Answer In Hindi PDF
DELED Assignment 506 Answer In Hindi PDF :- दोस्तों आप लोगों में से कई लोगों ने हमें सूचित किया कि NIOS DELED Assignment के Answers आपको Hindi भाषा में नहीं मिल रहा है , इसलिए आज आपको DELED Assignment Answer In Hindi PDF उपलब्ध करा रहे हैं | आशा है आपको यह पसंद आएगा |
विद्यालय का अवलोकन कीजिये तथा बच्चों के उन प्रमुख समूहों , जिनका शैक्षिक तंत्र से बहिष्कार होने का खतरा है , पर विविध कारकों के संदर्भ में एक विस्तृत प्रतिवेदन तैयार कीजिये | इन समूहों के समावेश हेतु समावेश हेतु सुझाव दीजिये |
Observe a school and prepare a detail report on various factors for exclusion on prominent groups of children who are at risk for exclusion from education system. Write suggestive measures for inclusion of these groups.
OR
अपने पड़ोस के दो विद्यालयों का दौरा कीजिये | समावेशी विद्यालय के संदर्भ में सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों की सुनिश्चितता अवलोकन के आधार पर एक प्रतिवेदन तैयार कीजिये | निष्कर्ष निकालिए तथा सुधार हेतु सुझाव प्रस्तुत कीजिये |
Visit any two schools in your neighborhood. Prepare a report on provisions made for inclusion schools by the government through observation.Draw Conclusion and give suggestions for improvement.
DELED Assignment 506 Answer
लाखों बच्चों व युवा शिक्षा का अधिकार पाने से वंचित रह जाते हैं और उन्हें उपयुक्त वातावरण में पर्याप्त शिक्षा नहीं मिलती | स्कूल से बाहर ये बच्चे अधिकतर वे हैं जिन्हें उनके अनुकूल स्कूल का वातावरण नहीं मिलता | या तो उन्हें पड़ोस के स्कूल में दाखिला नहीं मिलता , या अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण स्कूल से दूर रहने के लिए मज़बूत किया जाता है | आइये देखें कि वे कौन से प्रमुख समूह हैं जो स्कूल से बाहर होने के जोखिम में हैं |
शिक्षा व्यवस्था से बाहर होने के जोखिम वाले बच्चे :-
विकलांग बच्चे
शैक्षिक कौशल सीखने में समस्या के कारण विकलांग बच्चे स्कूल छोड़ने के जोखिम में हैं | विकलांगता के प्रकार के आधार पर बच्चे स्कूल में समस्याए महसूस करते हैं | हम संक्षेप में इन विकलांगता के प्रकार देखते हैं जो सीखने में बाधक है |
संकल्पना / अधिगम सम्बन्धी विकलांगता वाले बच्चे – विभिन्न स्तर पर मानसिक रूप से मंद बच्चों को सीमित संकल्पनात्मक अधिगम क्षमता के कारण कक्षा में न्यूनतम स्तर तक सीखने में समस्या होती है | विशेष अधिगम विकलांगता वाले बच्चे मूल शैक्षिक कौशल जैसे पढ़ना , लिखना व गणित अर्जित करने में दिक्कत महसूस करते हैं | इनमें से कई बच्चो की समस्या शिक्षक पहचान नहीं पाते |
सामजिक , भावनात्मक व व्यवहारगत विकलांगता वाले बच्चे – कुछ ऐसी विकलांगताएँ हैं जिनके कारण बच्चे कक्षा के कार्य नहीं कर पाते | ये उनके सामाजिक कौशलों में कमी , भावनात्मक गड़बड़ियाँ या व्यवाहरिक समस्याओं के कारण हो सकता है | शिक्षक ऐसे बच्चों को गलत समझते हैं क्योंकि वे इस प्रकार की परिस्थितियों से अवगत नहीं हैं|
भाषा और संप्रेषण की समस्या – कई बच्चे बाहर से तो अपनी उम्र के बच्चों की ही तरह दिखाई देते हैं | परन्तु उन्हें समझने में और/ या उपयुक्त भाषा के माध्यम से व्यक्त करने में समस्या है | ऐसे बच्चे शैक्षिक व गैरशैक्षिक , दोनों प्रकार की गतिविधियों में समस्या महसूस करते हैं |
संवेदी हानि – स्कूलों में ऐसे भी बच्चे होते हैं जिन्हें सुनने या देखने की समस्या होती है | यह समस्या थोड़ी या कभी गंभीर हो सकती है | आंशिक रूप से दिखना और सुनने के शैक्षणिक प्रभाव बहुत हैं |
भौतिक विचलन – स्कूल जाने की उम्र के बच्चों में गति में परेशानी या तो बड़ी पेशियों के कारण या छोटी पेशियों के कारण है | ये हड्डियों , तंत्रिकाओं या मांसपेशियों से सम्बन्धित हो सकती है जिस कारण शरीर के विभिन्न अंगों में समन्वय नहीं होता | इससे स्कूल में छोटी से लेकर बड़ी समस्याए हो सकती है |
स्वास्थ्य समस्याएं – बच्चों की कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं जो उन्हें लम्बी अवधि तक स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर करती हैं | यह एक कारण होता है की बच्चे शिक्षा बीच में छोड़ देते हैं | कई ऐसी परिस्थियाँ है जो बीमारी के कारण होती हैं और उनके शैक्षणिक परिणाम गंभीर होते हैं | बच्चों में मधुमेह , गठिया , मिर्गी , कुपोषण जिससे सामान्य कमजोरी आती हैं , कुछ आमतौर दिखाई दी गयी परिस्थितियों हैं |
वंचित वातावरण से आये बच्चे –
यह एक माना हुए तथ्य है कि रहने के वातावरण में अभाव का संकल्पना निर्माण पर सीधा प्रभाव पड़ता है | यह स्वाभाविक है कि गरीब परिवारों से , दिहाड़ी पर काम करने वालों के , झुग्गी – झोपड़ी वाले व बेघर परिवारों के बच्चे अपने आर्थिक , सामाजिक व मनोवैज्ञानिक वातावरण में समस्याओ का सामना करते हैं |
बालिकाएं –
शारीरिक , सामाजिक व सांस्कृतिक कारणों से बालिकाए हानि में रहतीं हैं | विशेषकर गांवों में व संयुक्त परिवारों में लड़कियों के साथ अलग ही व्यवहार होता है | उनकी भूमिकाये परिवारों द्वारा निर्धारित की जाती है और उनकी आवश्यकताओं को अनदेखा कर दिया जाता है | जो प्रोत्साहन उन्हें बचपन में शिक्षा पाने के लिए आवश्यक होता है , वह कई परिवारों में बिल्कुल नहीं मिलता | इसलिए स्कूल छोड़ने में उनका सबसे अधिक खतरा होता है |
Thanks Sir
Bahut Badhiya Work.