Bal Vikas Evam Shiksha Shastra PDF Download [Part 2]

0
1117

Bal Vikas Evam Shiksha Shastra PDF Download [Part 2]

Hy Guys, आज हम आपको बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र PDF के बारे में जानकरी उपलब्ध कराने वाले हैं | चाहे CTET का Exam हो या UP TET, Super TET यानि कि उत्तर प्रदेश सहायक अध्यापक/शिक्षक भर्ती (UP Assistant Teacher Recruitment 2020) या अन्य HTET, HP TET, PTET भर्तियाँ ही क्यों न हो ? सबके लिए Child Development & Pedagogy Notes In Hindi के लिए Study Material तो चाहिए ही होता है |

हम आपको लगातार Sarkari Teacher Bharti से Related Bal Vikas Full Notes In Hindi PDF Download करने की पाठ्य सामग्री लगातार आपको उपलब्ध करा रहे हैं | जैसा कि आप जानते ही हैं सरकारी शिक्षक बनने के पड़ावों में CTET, UPTET, Super TET आदि कई पड़ाव तो आते ही हैं | जिन सबमें ही बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र से सम्बन्धित प्रश्न उत्तर आदि जानकारी तो पूछी ही जाती है |

Bal Vikas and Shiksha Shastra PDF Details :-

Subject Bal Vikas and Shiksha Shastra
For Assistant Teacher
Formate PDF
PDF Size 300 KB
Credit SSC Hindi

बाल विकास के सिद्धांत :

आयु के अनुसार बालकों में होने वाले शारीरिक एवं मानसिक विकास कुछ विशेष प्रकार के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं। ये सिद्धांत वाल-विकास के सिद्धांत कहलाते हैं। बाल विकास से संबद्ध महत्वपूर्ण सिद्धांत निम्न हैं-

1) परस्पर संबद्धता का सिद्धांत : बाल विकास से संबद्ध विभिन्‍न तत्व यथा-सामाजिक, शारीरिक, मानसिक एवं संवेगात्मक आदि परस्पर संबद्ध हैं। इनमें से किसी एक में होने वाला विकास सभी तत्वों में होने वाले विकास को पूरी तरह से प्रभावित करने की क्षमता रखता है।

2) पूर्वानुमान का सिद्धांत : एक बालक की बुद्धि और विकास की गति को देखते हुए उसके आगे बढ़ने की दिशा एवं स्वरूप के विषय में पूर्वानुमान किया जा सकता है। इसी प्रकार बालक की मानसिक योग्यताओं के ज्ञान के सहारे उसके आगे के मानसिक विकास के बारे में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। विकास का सामान्य से विशेष की ओर का सिद्धांतः विकास की प्रक्रिया में सबसे पहले सामान्य क्रियाओं के दर्शन होते हैं उसके बाद विशिष्ट क्रियाओं का स्थान आता है। उदाहरणार्थ-प्रारंभ में एक नवजात शिशु के रोने और चिल्लाने में उसके सभी अंग-प्रत्यंग भाग लेते हैं, परन्तु बाद में वृद्धि और विकास की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप ये क्रियाएं उसकी आंखों और वाकतंत्र तक सीमित हो जाती हैं। भाषा विकास के क्रम में बालक सबसे पहले सामान्य शब्द सीखता है इसके वाद ही वह विशेष शब्द सीखता है।

3) विकास की दिशा का सिद्धांत : इस सिद्धांत के अनुसार विकास की प्रक्रिया की दिशा व्यक्ति के वंशानुगत एवं वातावरण जन्य कारकों से प्रभावित होती है। इसके अनुसार बालक सबसे पहले अपने सिर और भुजाओं की गति पर नियंत्रण करना सीखता है और उसके बाद फिर टांगों को। उसके बाद ही वह अच्छी तरह बिना सहारे के खड़ा होना और चलना सीखता है।

4) वैयक्तिक भिन्‍नता का सिद्धांतः इस सिद्धांत के अनुसार बालकों का विकास और वृद्धि उनकी अपनी वैयक्तिकता के अनुरूप होती है। वे अपनी स्वाभाविक गति से ही वृद्धि और विकास के विभिनन क्षेत्रों में आगे बढ़ते हैं और इसी कारण उनमें पर्याप्त विभिन्‍नताएं देखने को मिलती हैं। कोई भी एक बालक वृद्धि एवं विकास की दृष्टि से किसी अन्य बालक के समरूप नहीं होता। विकास के इस सिद्धांत के कारण ही कोई बालक अत्यंत मेघावी, कोई बालक सामान्य तथा कोई बालक पिछड़ा या मंद होता है।

भाषा के विकास के मुख्य सिद्धांत :-

मनुष्य की भाषा किस प्रकार विकसित होती है? उसकी प्रक्रिया क्या है? शब्दों का अर्थों में किस प्रकार समावेश होता है इसको जानने के लिए भाषा विकास के सिद्धांतों को समझना आवश्यक है। मनुष्य बोलने की योग्यता किस प्रकार अर्जित करता है। इस विषय पर विद्वानों ने अपने अध्ययन के आधार पर निम्न सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है-

1.अलुबंधन का सिद्धांत : भाषा विकास में अनुवंधन या साहचर्य का बहुत योगदान है। शैशवावस्था में जब बच्चे शब्द सीखते हैं तो सीखना अमूर्त नहीं होता है। वरन किसी मूर्त वस्तु से जोड़कर उन्हें शब्दों की जानकारी दी जाती है। उदाहरण पेंसिल कहने के साथ उन्हें पेंसिल दिखाया जाता है, पानी या दूध कहने पर उन्हें पानी या दूध दिखाया जाता है, चाचा या ताऊ के संकेत के सहारे प्रत्यक्ष रूप से बताया जाता है। इससे बच्चे उस विशिष्ट वस्तु या व्यक्ति से साहचर्य स्थापित कर लेते है और अभ्यास हो जाने पर संबंधित वस्तु या व्यक्ति की उपस्थित पर संबंधित शब्द से संबोधित करते हैं। उद्दीपक और प्रतिक्रिया के बीच संबंध स्थापित होने को ही अनुबंधन कहा जाता है। इसलिए छोटी कक्षाओं में लिखवाने के लिए शिक्षा उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। स्किनर का कहना है कि अनुबंधन द्वारा भाषा विकाप्त की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है।

2. चोमस्की का भाषा अर्जित करने का सिद्धांत : चोमस्की का कहना है कि बच्चे शब्दों की निश्चित संख्या से कुछ निश्चित नियमों का अनुकरण करते हुए वाक्यों निर्माण करना सीख जाते हैं। इन शब्दों से नए-नए वाक्यों एवं शब्दों का निर्माण होता है। इन वाक्यों का निर्माण बच्चे जिन नियमों के अंतर्गत करते हैं, उन्हे चोमस्की ने जेनेरेंटिव की संज्ञा प्रदान की है।

Child Development & Pedagogy Notes PDF Part 2 In Hindi Details :-

Download Bal Vikas Evam Shiksha Shastra PDF :-

Bal Vikas Evam Shiksha Shastra PDF : Click Here

तो दोस्तों आप Comment Box में आप हमें जरुर बताइयेगा कि आपको बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र PDF Download Part 2 : Child Development & Pedagogy Notes In Hindi कैसे लगे | दोस्तों आशा है आपने SSCHindi.Com द्वारा उपलब्ध कराया Bal Vikas Evam Shiksha Shastra In Hindi कर लिया होगा , आशा है आपको हमारे द्वारा उपलब्ध कराये गये सभी Study Meterial काफी पसंद आ रहे होंगे | अगर आपने हमारी Website : SSCHindi.Com पर पहली बार Visit किया है तो हम आपको बता दे कि हम यहाँ आपको SSC, Bank, Railway, UPSSSC, IAS, PCS, Navy, Air Force, CDS , NDA आदि जितने भी Government Jobs हैं उनके लिए Study Materials, Previous Year Paper, Model Paper PDF Provide कराते हैं |  अगर आप किसी पुस्तक के Free PDF की तलाश में हैं , या फिर आपके मन में कोई प्रश्न या हमारे लिए कोई सुझाव है तो हमें Comment Box के माध्यम से अवगत जरुर कराये |अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई है तो आप हमारी पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरुर Share करे | और अगर आपका कोई सुझाव हो तो हमें जरुर बताये | SSC Hindi पर एक बार फिर से अपना बहुमूल्य समय देने के लिए शुक्रिया !!

अपना जवाब लिखें

Please enter your comment!
यहाँ अपना नाम डाले !